कृषि स्वास्थ्य पर बढ़ता संकट: कीटनाशकों और मिट्टी की गिरती गुणवत्ता ने किसानों की सेहत पर डाला असर

लखनऊ: उत्तर भारत के कई जिलों में हाल के वर्षों में कृषि स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं सामने आई हैं। अंधाधुंध रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के प्रयोग से जहां मिट्टी की उत्पादकता में गिरावट आई है, वहीं दूसरी ओर किसानों की सेहत पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ा है। विशेषज्ञ इसे "Agri-Health Crisis" कह रहे हैं – जिसमें कृषि प्रणाली की बिगड़ती स्थिति सीधे ग्रामीण स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है।

क्या है कृषि स्वास्थ्य (Agri Health)?

कृषि स्वास्थ्य का आशय केवल फसलों की स्थिति से नहीं, बल्कि मिट्टी, पानी, किसानों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, और कृषि परिवेश के संतुलन से है। यदि मिट्टी में विषाक्तता बढ़ेगी, तो न केवल फसलें बल्कि किसान और उपभोक्ता दोनों प्रभावित होंगे।

प्रमुख समस्याएं

 1. कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग

हरदोई, सीतापुर और बाराबंकी जैसे जिलों में किसानों द्वारा डीडीटी, क्लोरोपायरीफॉस, एंडोसल्फान जैसे ज़हरीले कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है। इससे किसानों को सांस की बीमारियाँ, त्वचा संक्रमण, और नर्वस सिस्टम संबंधी समस्याएं हो रही हैं।

2. मिट्टी की गिरती उर्वरता

कई कृषि क्षेत्रों में लगातार रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने से मिट्टी का जैविक जीवन खत्म हो रहा है। यह न केवल उत्पादन घटा रहा है, बल्कि भूजल में नाइट्रेट का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ रहा है।

3. प्रदूषित सिंचाई जल

रिपोर्ट के अनुसार गंगा, गोमती और सरयू की सहायक नदियों का पानी अब सीधे सिंचाई में उपयोग हो रहा है, जिसमें औद्योगिक कचरे और नालों के मिश्रण से बीमारियाँ फैल रही हैं।

किसानों की सेहत पर असर

  • हरदोई जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले 3 महीनों में कीटनाशक जनित बीमारियों के 120 से अधिक केस दर्ज किए गए हैं।

  • मानसिक तनाव और आत्महत्या की प्रवृत्तियाँ बढ़ी हैं, खासकर उन किसानों में जो कर्ज और फसल खराबी से जूझ रहे हैं।

समाधान की दिशा में पहल

1. जैविक खेती को बढ़ावा

सरकार ने “नेशनल मिशन ऑन सस्टेनेबल एग्रीकल्चर” के तहत जैविक खेती के लिए सब्सिडी और प्रशिक्षण की शुरुआत की है। हरदोई के शाहाबाद ब्लॉक में 350 किसान जैविक विधियों की ओर लौट चुके हैं।

2. मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड योजना

मिट्टी की गुणवत्ता की जांच के लिए मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड योजना फिर से सक्रिय की गई है, ताकि किसान जरूरत के अनुसार उर्वरकों का उपयोग करें।

 3. कृषक स्वास्थ्य शिविर

हर माह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष कृषि स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं, जिसमें किसानों की मुफ्त जांच, परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान की जा रही है।

कृषि वैज्ञानिकों की राय

डॉ. अंजना मिश्रा, कृषि विज्ञान केंद्र, लखनऊ:
"आज की खेती में तकनीक का संतुलित उपयोग और पारंपरिक ज्ञान का समावेश ही कृषि स्वास्थ्य को बचा सकता है। किसानों को यह समझने की ज़रूरत है कि ज्यादा उर्वरक = ज्यादा उत्पादन = मिथक है।"

कृषि स्वास्थ्य को लेकर अब समय आ गया है कि नीति निर्माता, वैज्ञानिक, और किसान मिलकर एक हरित और सुरक्षित कृषि मॉडल की दिशा में काम करें। यह न केवल हमारे खेतों को बचाएगा, बल्कि किसानों की पीढ़ियों को भी स्वस्थ बनाएगा।

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